हसरत तो बहुत है कि तुम्हें रूबरू कराएंइस जमाने से पर क्या करें यह दर्द भी तो हमारा अपना हैजिसे लाख छुपाना चाहा होठों सेलेकिन हर बार आंसू बनकर बयां कर देते ये बेवफा आंखें हैं - रश्मि महिष
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